भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा यानी एलएसी पर गश्त व्यवस्था को लेकर एक महत्वपूर्ण समझौता हुआ है, जिससे दोनों देशों के बीच लंबे समय से चल रहे तनाव को कम करने की उम्मीद जताई जा रही है। ये समझौता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच इस हफ्ते रूस में होने वाले BRICS शिखर सम्मेलन से पहले हुआ है, और इसे काफी अहम माना जा रहा है।
इस पूरी स्थिति पर पूर्व विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला का कहना है कि इस समझौते से दोनों देशों के बीच तनाव कम करने का एक ठोस रास्ता निकल सकता है। उन्होंने ANI को दिए एक विशेष इंटरव्यू में बताया कि इस मुद्दे पर चर्चा के दौरान दृढ़ता से निपटने का परिणाम सकारात्मक निकला है। उनका मानना है कि यह समझौता नेताओं को बातचीत का एक अवसर देगा और इससे एलएसी पर स्थितियों में सुधार की उम्मीद भी बढ़ती है।
हर्षवर्धन श्रृंगला, जो मई 2020 में चीन की सेना द्वारा की गई कार्रवाइयों के दौरान विदेश सचिव थे, ने कहा कि उस समय बड़ी संख्या में चीनी सैनिकों की तैनाती से हिंसक घटनाएं शुरू हुई थीं। उन्होंने यह भी बताया कि यह समझौता एलएसी पर 2020 के बाद से चले आ रहे मुद्दों को हल करने में मदद करेगा और दोनों देशों को अलगाव के बाद तनाव कम करने के दिशा में काम करना चाहिए।
जब उनसे पूछा गया कि क्या यह समझौता 2020 की स्थिति को बहाल करेगा, तो श्रृंगला ने स्पष्ट किया कि कई मुख्य मुद्दों को हल किया जा चुका है। उन्होंने कहा, “मेरे हिसाब से, यह समझौता 2020 में उत्पन्न हुए कई मुद्दों को निपटाने में सफल रहा है और यह हमें आगे बढ़ने का मार्ग दिखाता है।”
श्रृंगला ने इस समझौते को भारत-चीन द्विपक्षीय संबंधों के लिए एक सकारात्मक कदम बताया, और कहा कि यह BRICS शिखर सम्मेलन के दौरान दोनों नेताओं के बीच और बातचीत के अवसर प्रदान करेगा।
उन्होंने कहा, “जब नेता आपस में मिलेंगे और आगे की दिशा पर विचार करेंगे, तब हम कह सकते हैं कि यह गश्ती मॉडल या अलगाव मॉडल एलएसी के अन्य क्षेत्रों में भी लागू हो सकता है, जहां पर अभी भी तनाव बना हुआ है।”
आपको याद दिला दें कि 2020 की घटनाओं के बाद भारत-चीन संबंधों पर एक विशेष तनाव बना हुआ था, और इसके बाद दोनों देशों के बीच कूटनीतिक स्तर पर कई प्रयास हुए हैं ताकि इस तनाव को कम किया जा सके।
वहीं, विदेश सचिव विक्रम मिश्र ने भी एक प्रेस ब्रीफिंग में इस समझौते की पुष्टि करते हुए कहा कि चीन के साथ गश्त व्यवस्था को लेकर एक महत्वपूर्ण समझौता हुआ है। उन्होंने कहा कि यह समझौता अंततः 2020 में उत्पन्न हुए विवादित मुद्दों के समाधान की ओर ले जाएगा।
आपको बताते चलें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 22 और 23 अक्टूबर को रूस के कज़ान में होने वाले 16वें BRICS शिखर सम्मेलन में भाग लेने वाले हैं, और इस बैठक का विषय है—”सामान्य वैश्विक विकास और सुरक्षा के लिए बहुपक्षीयता को मजबूत करना”।
इस शिखर सम्मेलन में महत्वपूर्ण वैश्विक मुद्दों पर गहन चर्चा होने की संभावना है, और इसे भारत और चीन के बीच तनाव को कम करने का एक सुनहरा अवसर भी माना जा रहा है।
अब देखना यह होगा कि BRICS शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच किस प्रकार की बातचीत होती है और इसका भारत-चीन संबंधों पर क्या असर पड़ता है।