एएमयू ने मदरसे से यूनिवर्सिटी तक का सफर किया है 1965 में अल्पसंख्यक स्वरूप खत्म हुआ और विवाद की नींव पड़ी थीं l इसके बाद हाईकोर्ट, संसद और दो बार सुप्रीम कोर्ट तक मामला पहुंचा l अलीगढ मुस्लिम विश्विविद्यालय का अल्पसंख्यक स्वरूप बहाल करने का फैसला शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में सात सदस्यीय संविधान पीठ ने सुना दिया l
इससे एक तरफ एएमयू में खुशी की लहर आ गई है तो यहां के भाजपा सांसद को फैसला पसंद नहीं आया l उन्होंने खुले फैसलों को लेकर बड़ी बड़ी प्रतिक्रिया दी है. सांसद सतीश गौतम ने कहा कि एएमयू के अल्पसंख्यक दर्जा बरकरार रखने का कोई तरीका नहीं था l सरकार को चाहिए कि एक नए संस्थान को अल्पसंख्यक स्वरूप रहने के चलते ही हमें मदद दी जाती हैं l
हजारों साल तक न बाढ़ आएगी, न अकाल पड़ेगा –पांच, छह हजारों वर्ष तक न तो यहां बाढ़ आ सकती हैं और अकाल का खतरा है l पानी का स्तर तीस फिट पर है l यहां फौजी पड़ाव की 74 एकड़ भूमि खाली है l यातायात के लिए जीटी रोड और दिल्ली हावड़ा के मध्य ट्रेन माध्यम में भी है l तब यहां 24 मई 1875 को मदरसा उसी छावनी में स्थापित किया, जो 1877 कॉलेज के रूप मे परिवर्तन हुआ l 1598 में सर सैयद के इंतकाल के बाद सर सैयद मेमोरियल कमेटी बनी, जिसके राष्ट्रव्यापी आंदोलन के क्रम में 1920 में ब्रिटिश संसद में अलीगढ़ मुस्लिम विश्विविद्यालय का बिल पास कर इसकी स्थापना हुई l
एएमयू और प्रकरण अब तक –
–1875 में मदरसे की स्थापना
–1920 में एएमयू की स्थापना हुई
–1951 में एक्ट में बदलाव किए
1965 में अल्पसंख्यक स्वरूप खत्म
1967 में सुप्रीम कोर्ट में याचिका खारिज
1981 में संसद ने स्वरूप बहाल किया
2004 में केंद्र के पत्र से विवाद शुरू
2004 में हाईकोर्ट में याचिका दायर
2006 में हाईकोर्ट के स्वरूप ख़ारिज किया