ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के लिए कज़ान पहुंचेंगे पीएम मोदी, वंदे भारत प्रोजेक्ट पर पुतिन से कर सकते हैं चर्चा

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नई दिल्ली | प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जल्द ही 16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए रूस के कज़ान शहर पहुंचेंगे, जहां उनकी मुलाकात रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से होगी। इस बैठक में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय वार्ता के अलावा, 6.5 अरब डॉलर के वंदे भारत रेल प्रोजेक्ट पर भी चर्चा की उम्मीद है। सूत्रों के मुताबिक, यह प्रोजेक्ट लंबे समय से अटका हुआ है, और इस मुद्दे को रूसी पक्ष प्रमुखता से उठाएगा।

वंदे भारत प्रोजेक्ट पर तकनीकी अड़चनें
वंदे भारत प्रोजेक्ट, जो कि भारतीय रेलवे के लिए महत्वपूर्ण है, नियामक और तकनीकी अड़चनों के चलते फिलहाल रुका हुआ है। रूसी कंपनी ट्रांसमाशहोल्डिंग (TMH), जो इस प्रोजेक्ट को भारतीय कंपनी रेल विकास निगम लिमिटेड (RVNL) के साथ मिलकर संभाल रही है, अब तक ट्रेनों का निर्माण शुरू नहीं कर पाई है। यह मुद्दा दोनों देशों के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है, और संभावना है कि इस बार की वार्ता में इसे हल करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए जाएंगे।

पुतिन और मोदी की संभावित चर्चा
प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति पुतिन की मुलाकात मंगलवार को होगी। जुलाई में भी दोनों नेताओं के बीच वार्षिक द्विपक्षीय वार्ता हुई थी, जिसमें वंदे भारत ट्रेनों के निर्माण को लेकर चर्चा की गई थी। राष्ट्रपति पुतिन ने पहले ही संकेत दिया था कि पीएम मोदी से होने वाली यह बैठक प्रोजेक्ट के लिए निर्णायक हो सकती है। रूस और भारत की कंपनियों के बीच इस प्रोजेक्ट पर कुछ समय से गतिरोध बना हुआ है, जिसे सुलझाने की जरूरत है।

200 वंदे भारत ट्रेनों का निर्माण
शुरुआत में इस प्रोजेक्ट के तहत 200 वंदे भारत ट्रेनों का निर्माण किया जाना था, लेकिन बाद में इसे घटाकर 120 ट्रेनों तक सीमित कर दिया गया। इसके साथ ही प्रोजेक्ट की कुल लागत भी 36 हजार करोड़ रुपये तक आंकी गई। मार्च 2023 में RVNL और TMH के कंसोर्टियम ने 58,000 करोड़ रुपये का टेंडर जीता था, लेकिन तब से इसमें कई बाधाएं आ रही हैं। रूस की TMH ने प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने के लिए शेयरहोल्डिंग को रीस्ट्रक्चर करने की अपील की थी, लेकिन भारतीय सरकार ने अब तक इसे मंजूरी नहीं दी है।

विवाद की वजहें और सरकार का रुख
रूस की कंपनी TMH ने भारतीय सरकार से आग्रह किया कि काइनेट रेलवे सलूशन्स की 25% हिस्सेदारी के साथ बाकी रूसी कंपनियों की 70% और 5% की शेयरहोल्डिंग को आपस में बदल दिया जाए। हालांकि, इस पर सरकार की मंजूरी नहीं मिलने के कारण प्रोजेक्ट ठप पड़ा हुआ है। अब सरकार इस दिशा में विचार कर रही है कि ट्रेनों की संख्या को कम करके प्रत्येक ट्रेन में कोचों की संख्या को 16 से बढ़ाकर 24 किया जाए।

क्या होगी अगली दिशा?
प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति पुतिन की मुलाकात के दौरान यह देखना होगा कि दोनों नेता इस प्रोजेक्ट को लेकर किस दिशा में बढ़ते हैं। वंदे भारत प्रोजेक्ट का सफल क्रियान्वयन दोनों देशों के संबंधों के लिए एक मील का पत्थर साबित हो सकता है।

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